वकील की दर्द भरी दास्ताँ

मै एक “वकील” हूँ, मै डबल ग्रेजवेट कहलाता हूँ।

मै एक वकील हूँ मैं ऑफिसर ऑफ़ द कोर्ट कहलाता हूँ।

मै एक वकील हूँ पैरवी करता हूँ आपने क्लाइंट के लिये फिर चाहे वो खूनी हो या कातिल,
मेरे काम बड़ा है रिस्की एक जीत जाये तो दूसरा दुश्मन, दूसरा जीत जाये तो पहला दुश्मन।
फिर भी मुझे ना तो कोई प्रोटेक्शन ही मिलता और ना ही एडवोकेट प्रोटेक्शन बिल पास होता।

मैं सबसे बड़े संघ का सदस्य हूँ परंतु मुझे सामूहिक बीमा नहीं मिलता।

मैं बीमार होती हूँ संघ की आस तकता हूँ मुझे मेडिकल बीमा नहीं मिलता।

मुझे किराये पर कोई मकान नहीं देता , मुझे संघ की तरफ से अधिवक्ता आवास नहीं मिलता।
मै जिनके लिये पैरवी करती हूँ उनके प्रोटेक्शन के लिये ढेरों नियम और कानून हैं परंतु मेरे प्रोटेक्शन के लिये कोई कानून नहीं।

मुझे लोन देने मैं बैंकों के द्वारा आना-कानी किया जाता है।
मै हमेशा दूसरों की सोचता हूँ पर मेरे बारे में कोई नहीं सोचता,
क्योंकि मै एक वकील हूँ, मुझे ईश्वर ने मौका दिया है पीड़ित और शरणागत की रक्षा का।

मैं अपने काम के प्रति सजग हूँ तभी तो पक्षकार के साथ न्यायालय के कार्य निरंतर करता हूँ।

मुझको फीस देने मे लोगो को तकलीफ होती है जबकि सबकी तकलीफ कम करता हूँ।

मुझे आम जन की सेवा का अवसर मिला है और सेवा के बदले कई मर्तबा अपशब्दों से भी गुजरना पड़ता है।

मेरे दर्द को कोई समझे न समझे पर मैं सभी के दर्द को जानता और समझता हूँ
क्योंकि मैं एक #वकील हूँ 🙏

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